2007 गोरखपुर सम्प्रदायिक हिंसा मामले में कोर्ट द्वारा सरकार से जांच के रिकार्ड तलब करना साफ करता है कि इस मामले में सालों-साल से हो रही थी हीलाहवाली.
गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा मामले में मुकदमा न चलाने का योगी सरकार का कहना
साफ करता है की वो अपने मामले के खुद ही जज बन बैठे हैं.
जिन धाराओं में मुकदमा चलाने की अनुमति सरकार से नहीं लेनी थी उसमें भी जबरन
अनुमति ना देकर साफ कर दिया कि योगी पूरे मामले को खत्म कर देना चाहते हैं
लखनऊ 3 सितंबर 2017. रिहाई मंच ने कहा कि गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा 2007 मामले में जिस तरह से इलाहाबाद हाईकोर्ट कोर्ट ने मुकदमें की अनुमति से लेकर अब अबतक हुई जांच के रिकार्ड सरकार से तलब किए हैं वो स्पष्ट करता है कि जांच एजेंसियों ने मुख्य अभियुक्त योगी आदित्यनाथ जो अब मुख्यमंत्री भी हैं को बचाने की हर संभव कोशिश की है और कर रहे हैं.
रिहाई मंच के राजीव यादव ने कहा गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा 2007 मामले जिसके याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात और परवेज़ परवाज़ हैं, में जिस तरह सरकार ने मुकदमा न चलाने की बात कही उससे स्पष्ट है कि योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से इस मामले को दबाना चाहते हैं क्योंकि इस मामले में वे मुख्य अभियुक्त हैं. वहीं जिन धाराओं में सरकार से अनुमति नहीं लेने की जरूरत थी उनमें भी अनुमति का तर्क देना मामले को तोड़ने-मरोड़ने जैसा है. उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीसीआईडी ने जो जांच के दौरान सीडियों में हेराफेरी की और अब जब कोर्ट ने अब तक की जांच के रिकार्ड तलब किए हैं उससे साफ हो जाएगा कि 2007 के इतने पुराने मामले में इतने साल तक जांच एजेंसी क्या कर रही थी. राजीव ने कहा कि जिस तरह 2007 गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा मामले के केस को दबाया गया और अभियुक्त जब खुद तय कर रहा हो कि उसपर मुकदमा नहीं चलेगा तो ऐसे में साफ है कि योगी पद का दुरुपयोग कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में भाजपा योगी को पद पर बनाए रखकर इंसाफ की प्रक्रिया को बाधित कर रही है और अपराधियों का हौसला बढ़ा रही
है. वर्तमान में योगी राज्य समर्थित अपराधी है. उन्होंने कहा की विपक्ष इस मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करे तभी इंसाफ हो सकेगा.
गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा मामले में मुकदमा न चलाने का योगी सरकार का कहना
साफ करता है की वो अपने मामले के खुद ही जज बन बैठे हैं.
जिन धाराओं में मुकदमा चलाने की अनुमति सरकार से नहीं लेनी थी उसमें भी जबरन
अनुमति ना देकर साफ कर दिया कि योगी पूरे मामले को खत्म कर देना चाहते हैं
लखनऊ 3 सितंबर 2017. रिहाई मंच ने कहा कि गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा 2007 मामले में जिस तरह से इलाहाबाद हाईकोर्ट कोर्ट ने मुकदमें की अनुमति से लेकर अब अबतक हुई जांच के रिकार्ड सरकार से तलब किए हैं वो स्पष्ट करता है कि जांच एजेंसियों ने मुख्य अभियुक्त योगी आदित्यनाथ जो अब मुख्यमंत्री भी हैं को बचाने की हर संभव कोशिश की है और कर रहे हैं.
रिहाई मंच के राजीव यादव ने कहा गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा 2007 मामले जिसके याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात और परवेज़ परवाज़ हैं, में जिस तरह सरकार ने मुकदमा न चलाने की बात कही उससे स्पष्ट है कि योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से इस मामले को दबाना चाहते हैं क्योंकि इस मामले में वे मुख्य अभियुक्त हैं. वहीं जिन धाराओं में सरकार से अनुमति नहीं लेने की जरूरत थी उनमें भी अनुमति का तर्क देना मामले को तोड़ने-मरोड़ने जैसा है. उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीसीआईडी ने जो जांच के दौरान सीडियों में हेराफेरी की और अब जब कोर्ट ने अब तक की जांच के रिकार्ड तलब किए हैं उससे साफ हो जाएगा कि 2007 के इतने पुराने मामले में इतने साल तक जांच एजेंसी क्या कर रही थी. राजीव ने कहा कि जिस तरह 2007 गोरखपुर साम्प्रदायिक हिंसा मामले के केस को दबाया गया और अभियुक्त जब खुद तय कर रहा हो कि उसपर मुकदमा नहीं चलेगा तो ऐसे में साफ है कि योगी पद का दुरुपयोग कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में भाजपा योगी को पद पर बनाए रखकर इंसाफ की प्रक्रिया को बाधित कर रही है और अपराधियों का हौसला बढ़ा रही
है. वर्तमान में योगी राज्य समर्थित अपराधी है. उन्होंने कहा की विपक्ष इस मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करे तभी इंसाफ हो सकेगा.
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