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रोहिंग्या मुस्लिमो को लेकर देशभर में म्यानमार का कडा विरोध किया जा रहा है. म्यानमार के मुस्लिम मूलनिवासियों पर बर्बर जुल्म के खिलाफ इंसानियत जुल्म को रोकने और रास्ते निकालने की गुहार लगा रही है. तो वहीँ दूसरी तरफ संघियों की टोली मुस्लिमों को भारत में पनाह देने का विरोध कर रही है. जब की लाखो तिब्बतियू, श्रीलंकाईयों की भारत कोई ससुराल नहीं है. इसपर एड. अदीम रशीद लिखते है के, तिब्बत के 110000 बौद्ध ( चीन के गद्दार ) आपके रिश्तेदार हैं क्या ? तमिलनाडु में पनाह पाये 65000 तमिल ( श्रीलंका के आतंकवादी ) तुम्हारे क्या लगते हैं ? बांग्लादेश के चकमा जो बंगला देश के विरोधी तथा पाकिस्तान के समर्थक थे , ( जिन्हें अरुणाचल में नागरिकता दी गयी ) क्या वो भी तुम्हारे नाती हैं ? इतने लोगों से कोई समस्या नही है , समस्या सिर्फ 40000 रोहिंग्या से है क्योंकि वो मुसलमान हैं . और डॉ अम्बेडकर लिखित संविधान का आर्टिकल 21पढ़ लेना . जो भारतीयों के साथ रिफ्यूजी पर भी लागू होता है .
ऐसे माहौल में सिख समुदाय ने एक और इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए सांप्रदायिक तत्वों संघियों के मुह पर जोरदार तमाचा मारा है. जितनी भी तारीफ की जाये कम है ये भाईचारे के मिसाल जो आप लोग कायम कर रहे है इसे ही सच्चा भारतीय होना कहते है 35000-/ मुस्लिम रोहिग्यो को हर रोज़ खाना खिलाना मज़ाक नहीं है! मेरे ख्याल से मौजूदा समय मे यदि गरीब असहाय मजलूमो की किसी धर्म के लोग निःस्वार्थ भावना से सेवा कर रहे हैं तो वो केवल सिख धर्म के ये खालसा वीर ही कर रहे हैं। बाकी मिशनरी हो या अन्य इदारे उनके सेवा के पीछे मकसद होता है धर्म परिवर्तन। पर इन्होंने कभी किसी से यह नही कहा कि हमारी सेवा के बदले तुम हमारा धर्म अपना लो। ऐसे निस्वार्थ सेवा करने वाले गुरु गोविंद सिंह जी के खालसा वीरों को मेरा तहेदिल से सलाम। समझ नही आता इन्हें इंसान के रूप में फरिश्ता कहा जाए या फरिश्ता के रूप में इंसान?
रब इनपर मेहर बनाये रखे। आमीन
रब इनपर मेहर बनाये रखे। आमीन
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