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ईद पर एक लगभग के मुताबिक 25 ख़रब रुपए से ज्यादा का जानवर पालने और बेचने का कारोबार हुआ,तकरीबन 23 अरब रुपए कसाईयों ने मजदूरी के तौर पर कमाये, 3अरब रुपए से ज्यादा चारे का कारोबार हुआ
नतीजा:-
:-गरीबों को मजदूरी मिली,
:-किसानों का चारा फरोख्त हुआ,
:-देहातियों को मवेशी की अच्छी कीमत मिली,
:-गाड़ियों में जानवर लाने ले जाने वालों ने अरबो का काम किया,
:-और सबसे अहम गरीबों को खाने के लिए महँगा गोश्त मुफ्त में मिला।
खालें कई सौ अरब रुपए में खरीदी गयीं है,चमड़े की फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों को काम मिला,
ये सब पैसा जिस जिस ने कमाया है वो अपनी जरूरियात पर जब खर्च करेगा तो ना जाने कितने खरब का कारोबार दोबारा होगा।
ये कुर्बानी गरीब को सिर्फ गोश्त नही खिलाती बल्कि आगे सारा साल गरीबों के रोजगार और मजदूरी का भी बंदोबस्त होता है।
दुनिया का कोई भी मुल्क करोड़ो अरबो रुपए अमीरों पर टैक्स लगा कर पैसा गरीबों में बाटना शुरू कर दे तब भी गरीबो और मुल्क को इतना फ़ायदा नही होगा जितना #अल्लाह के इस एक एहकाम को मानने से पूरे मुल्क को फ़ायदा होता है
इकनॉमिक्स की ज़बान में "सर्कुलेशन ऑफ़ वेल्थ" का एक ऐसा चक्र शुरू होता है कि जिस का हिसाब लगाने पर अक्ल दंग रह जाती है।
नतीजा:-
:-गरीबों को मजदूरी मिली,
:-किसानों का चारा फरोख्त हुआ,
:-देहातियों को मवेशी की अच्छी कीमत मिली,
:-गाड़ियों में जानवर लाने ले जाने वालों ने अरबो का काम किया,
:-और सबसे अहम गरीबों को खाने के लिए महँगा गोश्त मुफ्त में मिला।
खालें कई सौ अरब रुपए में खरीदी गयीं है,चमड़े की फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों को काम मिला,
ये सब पैसा जिस जिस ने कमाया है वो अपनी जरूरियात पर जब खर्च करेगा तो ना जाने कितने खरब का कारोबार दोबारा होगा।
ये कुर्बानी गरीब को सिर्फ गोश्त नही खिलाती बल्कि आगे सारा साल गरीबों के रोजगार और मजदूरी का भी बंदोबस्त होता है।
दुनिया का कोई भी मुल्क करोड़ो अरबो रुपए अमीरों पर टैक्स लगा कर पैसा गरीबों में बाटना शुरू कर दे तब भी गरीबो और मुल्क को इतना फ़ायदा नही होगा जितना #अल्लाह के इस एक एहकाम को मानने से पूरे मुल्क को फ़ायदा होता है
इकनॉमिक्स की ज़बान में "सर्कुलेशन ऑफ़ वेल्थ" का एक ऐसा चक्र शुरू होता है कि जिस का हिसाब लगाने पर अक्ल दंग रह जाती है।
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