नई दिल्ली। बामसेफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनीषा बांगर अपनी सामाजिक सक्रियता और राजनीतिक चेतना के लिए बहुजन आंदोलन में एक सम्मानित नाम हैं। ऐसी बहुत कम महिलायें हुई हैं, जो अपने मेडिकल प्रोफेशनल करियर के साथ-साथ सामजिक क्षेत्र में भी बहुत सक्रिय होती हैं। पेशे से डॉक्टर मनीषा अभी डिपार्टमेंट ऑफ़ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डेक्कन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज हैदराबाद में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और हैदराबाद के कॉरपरेट हॉस्पिटल में लीवर ट्रांसप्लांट की विशेषज्ञ हैं।
मुख्य बातें-
1.) प्रोफेशनल वर्क के साथ सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ी हैं डॉ. मनीषा बांगर
2.) डॉ. मनीषा बांगर अकेली भारतीय लीवर स्पेशलिस्ट बहुजन महिला हैं
3.) 18 सालों से बामसेफ से जुड़ी हैं डॉ. मनीषा बांगर
4.) सक्रिय रूप से सामाजिक कार्यों के लिए समय देती हैं डॉ. मनीषा बांगर
मुख्य बातें-
1.) प्रोफेशनल वर्क के साथ सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ी हैं डॉ. मनीषा बांगर
2.) डॉ. मनीषा बांगर अकेली भारतीय लीवर स्पेशलिस्ट बहुजन महिला हैं
3.) 18 सालों से बामसेफ से जुड़ी हैं डॉ. मनीषा बांगर
4.) सक्रिय रूप से सामाजिक कार्यों के लिए समय देती हैं डॉ. मनीषा बांगर
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डा. मनीषा बांगर को साऊथ एशियन एसोसिएशन ऑफ स्टडी फॉर लीवर डिसीस में व्याख्यान देने के लिए निमंत्रण मिला है। बता दें कि मनीषा बंगार अकेली भारतीय लीवर स्पेशलिस्ट महिला हैं, जिनको ये निमंत्रण मिला है। इसके साथ ही वह अकेली बहुजन महिला हैं जिन्हें ये इंविटेशन मिला है। यह प्रोग्राम 20 जुलाई से 22 जुलाई को श्रीलंका में होगा।
आपको बता दें कि मनीषा लगभग 18 सालों से बामसेफ से जुड़ी हैं और अभी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेवारी के साथ-साथ केन्द्रीय कार्यकारी परिषद की सदस्य के रूप में भी बामसेफ के आन्दोलन की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी से जुडी हैं। बामसेफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से पहले वे मूलनिवासी महिला संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
आपको बता दें कि मनीषा लगभग 18 सालों से बामसेफ से जुड़ी हैं और अभी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेवारी के साथ-साथ केन्द्रीय कार्यकारी परिषद की सदस्य के रूप में भी बामसेफ के आन्दोलन की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी से जुडी हैं। बामसेफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से पहले वे मूलनिवासी महिला संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
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