सीखो और हिन्दुओ ने नहीं दी प्रतिक्रया मुसलमानों को जल्दी थी सोनू के एडवर्टाइजिंग की
अजान की आवाज तकलीफ देती है, हजारो किसानो की चीखे नहीं
सोशल डायरी ब्यूरो
मुसलमान मुहम्मद रफ़ी के गाने गाकर अपना पेट भरने वाले सोनू निगम का धंदा मंदा चल रहा है. इसलिए उसने चर्चा में आने के लिए मुसलमानों द्वारा दी जाने वाली अजान पर आपत्तिजनक टिपण्णी की, और सारे मुसलमान हात जोड़-जोड़ कर एक दुसरे को सोनू का प्रचार और प्रसार करने की बिनती सोशल मीडिया पर करने लगे और तीन दिनों में उसको खूब फेमस किया. मैं यह कहना चाहता हूँ के जब किसी इंसान को कुत्ता भोंकता है तो वह इंसान कुत्ते को इंसान होने का सबूत नहीं देता और ना ही दुसरे इंसानों से यह बिनती करता है की "अरे देखो इस यह कुत्ता मुझे भोंक रहा है और इसे समझाओ के हम इंसान है" यहाँ यह बात समझमे आती है लेकिन मनुवादियों द्वारा फैलाए जा रहे षडयंत्र हमारे समझमे नहीं आते. और अक्सर मुसलमान प्रतिक्रया देकर बुरा फंस जाता है.
सोनू निगम हो या तारेक फ़तेह या फिर तसलीमा नसरीन, आपने कभी देखा के इन्होने हजारो किसानो की आत्महत्याओं पर एक शब्द भी कहा ? आपने कभी देखा के गोरक्षा के नाम पर मारे गए मोहसिन, अखलाख, अयूब और पहलु खान की हात्या पर कुछ कहा ? कई महिलाओं का बलात्कार होता है इस विषय पर कभी कुछ कहा ? नहीं कहा. जिस इंसान को तीन मिनिट के अजान की आवाज से तकलीफ होती है उस इंसान को बेगुनाओ के हत्याओं की चीखे सुनाई नहीं देती ? नजीब के माँ की गुहार सुनाई नहीं देती ? चलो मान लेते है यह मुस्लिम है इसलिए इनकी आवाज नहीं सुनाई दी, तो क्या वर्षो से किसानो की चीखे नहीं सुनाई दे रही ? हजारो किसानो ने आत्महत्याए की है उन किसानो के परिवार की चीखे सुनाई नहीं देती ? भारत के कई इलाको में महिलाओं पर अत्याचार होता है कई इलाको में दलित महिलाए जूतों से पानी पिने को मजबूर है, क्या सोनू निगम को वह चीख नहीं सुनाई दी जिसकी चीख सुनकर बहरीन के प्रधानमन्त्री ने लाखो रुपये की मदत की जो किसान अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर उठाकर 12 किलोमीटर का सफ़र तय करता है ?
हाँ बिलकुल नहीं अगर सोनू को सच में तकलीफ होती या वह इंसान होता तो उपरोक्त मामलो की भयानक चीखे जरुर सुनता. लेकिन उसको किसीके तकलीफ से कुछ लेना-देना नहीं बल्कि उसका मंदा धंदा चलाना है और वह बखूबी जानता है की, अक्सर मुसलमान बेवकूफ है और फ़ोकट में उसका प्रचार करेंगे. और उसने टिपण्णी कर दी सिर्फ दो लाइन लिखे और अक्सर मुसलमानों ने आसमान सर पर उठा लिया. सोनू ने सिर्फ अजान पर ही नहीं गुरद्वारा और मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर पर भी आपत्ति जताई है. लेकिन वह लोग जानते है. यह टिपण्णी उसने खुदको फेमस करने के लिए की, और वह लोग ये भी जानते है के सोनू निगम कोई कानून नहीं जो सिर्फ उसके कहने से धार्मिक क्रिया बंद होगी. 100 करोड़ हिन्दू और सिख बंधुओ में से एक इंसान ने भी सोनू निगम के टिपण्णी को सीरियस नहीं लिया. मुसलमान ही हमेशा साजिशो में फंसते है और प्रतिक्रया देकर फंस जाते है. और बुद्धिजीवी मुस्लमान बार-बार यह समझाने की कोशिस में जुटे है की, कोई प्रतिक्रया ना दे, लेकिन बेवकुफो की ज्यादा संख्या होने के कारन बुद्धिजीवियों की आवाज दबी रही. अक्सर मुसलमानों की बेवकूफी मुसलमानों को ले डूबेगी. अफ़सोस......
प्रतिक्रया देकर भयानक साजिश में फंसे मुसलमान
सुनु निगम के बयान से पहले हफ्ते में तीन बड़े प्रकरण हुए जिसको दबाने के लिए सोनू निगम से मुसलमानों के खिलाफ बुलवाया गया.
1) तीन तलाक के विषय पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दो दिन की महत्वपूर्ण मीटिंग और तीन तलाक को साढ़े चार करोड़ महिलाओं का समर्थन. यह बेहद जरुरी मुद्दे पर मुसलमानों को चर्चा करनी चाहिए थी, प्रचार-प्रसार करना चाहिए था. सोनू निगम का करने लगे.
2) मोहसिन, अखलाख, अयूब ऐसे सैकड़ो हत्याओं के बाद पहलु खान की दर्दनाक हात्या. हत्यारों का कडा विरोध कर इन्साफ की मांग करनी चाहिए थी, प्रचार-प्रसार करना चाहिए था लेकिन नहीं किया, सोनू का करने लगे.
3) जस्टिस राजेन्द्र सच्चर ने खुलासा किया के 2019 में संघ और भाजपा भारत को हिन्दुराष्ट्र घोषित करेगी, इसकी पूर्ण तयारी हो चुकी है. विपक्षी दल और कई लोग इस बात को नहीं समझ पा रहे लोकतंत्र के लिए यह बहुत बड़ा ख़तरा है. इस बात पर गौर करना चाहिए था नहीं किया.
4) उना में चार दलितों की पिटाई गोरक्षाको द्वारा की गयी उस वक्त उन्होंने इस तरह का आन्दोलन छेडा के यह यूनो तक पहुंची. और सैकड़ो मुसलमान उन्ही गोरक्षाको ने मार दिए हमारा आन्दोलन घरमे ही रहा यूनो तो क्या हमारे पडोसी को भी पता नहीं है. "अल्लाह ने कुरआन में फरमाया के "तुम बहेतरीन उम्मत हो जो बुराई से रोकती है और इन्साफ के लिए लडती है" लेकिन हमारी कौम तो गरियाने में लगी है. अब वह वक्त दूर नहीं जब अल्लाह किसी और कौम से अपना काम ले. .........!
-अहेमद कुरेशी