“उच्चतम न्यायालय ने साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में वर्ष 2000 में हुये विस्फोट की योजना बनाने के आरोप में 2001 से जेल में बंद हिजबुल मुजाहिदीन के कथित कार्यकर्ता अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व शोध छात्र गुलजार अहमद वानी को मंगलवार को जमानत दे दी।”
इस ट्रेन में यह विस्फोट स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ था जब वह मुजफ्फरपुर से अहमदाबाद जा रही थी और कानपुर के नजदीक थी। इस विस्फोट में दस व्यक्तियों की जान चली गयी थी।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि वानी 16 साल से अधिक समय से जेल में है और 11 में से नौ मामलों में उसे बरी किया जा चुका है। पीठ ने कहा कि अभी तक अभियोजन के 96 गवाहों में से सिर्फ 20 से ही जिरह हो सकी है। न्यायालय ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि सभी आवश्यक गवाहों से जिरह 31 अक्तूबर तक पूरी कर ली जाये।
पीठ ने कहा, निचली अदालत को निर्देश दिया जाता है कि महत्वपूर्ण गवाहों से जिरह 31 अक्तूबर, 2017 तक पूरी की जाये। यह कवायद पूरी होती है या नहीं, परंतु याचिकाकर्ता :वानी को: निचली अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों पर एक नवंबर, 2017 से जमानत पर रिहा कर दिया जायेगा।
न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता वानी के सह आरोपी को 2001 में ही जमानत पर रिहा कर दिया गया था। वानी को दिल्ली पुलिस ने विस्फोटक और आपत्तिजनक सामग्री के साथ 2001 में गिरफ्तार किया था। वानी श्रीनगर के पीपरकारी इलाके का निवासी है और वह इस समय लखनउ जेल में बंद है। वानी गिरफ्तारी के समय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अरबी भाषा में पीएचडी कर रहा था। एजेंसी