खुद को सितंबर 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताने वाले खालिद शेख मुहम्मद ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को पत्र लिखा है। खालिद ने इस पत्र में लिखा है कि 9/11 का हमला अमेरिकी विदेश नीति का नतीजा थी। खालिद ने लिखा है कि अमेरिका की विदेश नीति के कारण सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए। 18 पन्नों की इस चिट्ठी को खालिद ने 'द हेड ऑफ द स्नैक, बराक ओबामा,' यानी 'सांप के सिर, बराक ओबामा' का शीर्षक दिया है। खालिद ने इस शीर्षक में अमेरिका की तुलना 'सांप' से की है और उसने ओबामा को इस सांप का 'सिर' यानी सरगना (राष्ट्रप्रमुख) कहा है। अपनी चिट्ठी में खालिद ने अमेरिकी राष्ट्रपति को 'दमन और उत्पीड़न करने वाले देश' का प्रमुख बताया है।
डिफेंस अटॉर्नी डेविड नेविन ने इस पत्र की एक प्रति उपलब्ध कराई है। अभी तक इसे अमेरिकी सेना की वेबसाइट पर पोस्ट नहीं किया गया है। डेविड ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि मुहम्मद ने इस पत्र को साल 2014 में लिखना शुरू किया था। इस चिट्ठी पर 8 जनवरी 2015 की तारीख डली हुई है, लेकिन अमेरिका पहुंचने में इसे दो साल लग गए। यह चिट्ठी जनवरी में ओबामा प्रशासन के आखिरी दिनों में वाइट हाउस पहुंची। खबरों के मुताबिक, अमेरिकी सेना के एक जज ने ग्वॉनटैनमो जेल शिविर को यह पत्र वाइट हाउस भेजने का निर्देश दिया था। खालिद इसी जेल में बंद है। पत्र में लिखा है, 'सितंबर 2001 में हमने आपके खिलाफ युद्ध की शुरुआत नहीं की, आपने और आपके देश के तानाशाहों ने इस लड़ाई को शुरू किया।'
खालिद ने लिखा है कि 9/11 के दिन अल्लाह खुद उन हाइजैकर्स के साथ था, जब हवाई जहाजों ने न्यू यॉर्क स्थित ट्विन टावर्स, पेंटागन और पेंसिलवेनिया के एक मैदान को अपना निशाना बनाया। खालिद ने लिखा है, '9/11 को अंजाम देने में खुद अल्लाह ने हमारी मदद की। तुम्हारी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने, तुम्हें शर्मिंदा करने और आजादी व लोकतंत्र के तुम्हारे पाखंड को सबके सामने लाने में ईश्वर ने हमारी मदद की।' इस पत्र में खालिद ने अमेरिका द्वारा किए गए कई 'क्रूर और नृशंस हत्याकांडों' का जिक्र किया है। इनमें वियतनाम युद्ध से लेकर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला करने तक की कई घटनाएं गिनाई गई हैं, लेकिन इन सबसे बढ़कर खालिद ने फलिस्तीनी आबादी की तकलीफें और इजरायल को दिए जा रहे अमेरिकी समर्थन का कई बार जिक्र किया है।
खालिद ने पत्र की शुरुआत में लिखा है, 'गाजा में हमारे जो भाई, बहन और बच्चे मारे गए, उनके खून से अभी तक तुम्हारे हाथ गीले हैं।' इस पत्र के साथ खालिद ने 51 पन्नों का एक दूसरा दस्तावेज भी भेजा है। यह भी हाथ से लिखा हुआ है और इसका शीर्षक है, 'जब मुजाहिदीन मुझे फांसी की सजा दे, तब क्या मुझे मर जाना चाहिए? मौत का सच।' इसमें फांसी के फंदे का चित्र भी बनाया गया है। खालिद को मौत की सजा दी जा सकती है। उसपर 9/11 में इस्तेमाल हुए विमान के अपहरण की साजिश रचने का आरोप है। इस घटना में 3,000 लोगों की मौत हुई थी। खालिद का कहना है कि उसे मौत से डर नहीं लगता। उसने लिखा है, 'मैं खुश होकर मौत के बारे में बात करता हूं।'
खालिद को CIA की एक गुप्त जेल में रखा गया है। इस पत्र में खालिद ने आगे लिखा है, 'अगर तुम्हारी अदालत मुझे उम्रकैद की सजा देती है, तो मैं अपनी पूरी जिंदगी जेल की कोठरी में अकेले बैठकर अल्लाह की इबादत करने में खुश रहूंगा। मैं अल्लाह के आगे अपने सभी गुनाहों और बुरे कर्मों के लिए माफी मांगूंगा।' उसने आगे लिखा है, 'और अगर तुम्हारी अदालत मुझे मौत की सजा देती है, तो मैं और ज्यादा खुश होऊंगा क्योंकि मैं अल्लाह और पैगंबरों से मिल सकूंगा। मेरे जिन दोस्तों को तुमने अधर्म से मार डाला, उन सभी से मरने के बाद मेरी मुलाकात होगी। मैं शेख ओसामा बिन लादेन को भी देख सकूंगा।'
खालिद और उसके साथियों पर विमान अपहरण, आतंकवाद और करीब 3,000 लोगों की हत्या करने का आरोप है।(NBT से साभार)