कैसी दिखती थी क्लियोपेट्रा. बारोक काल के पेंटर उन्हें पापी और मूडी रानी के तौर पर दिखाते हैं. तो पश्चिम का पॉप कल्चर उन्हें आदर्श मानता है. लेकिन सच में कैसी थी क्लियोपेट्रा...
षड़यंत्रकारी, पापी दीवा, पॉप संस्कृति में आदर्श. मिस्र की आखिरी रानी क्लियोपेट्रा आज भी आकर्षण का केंद्र है. हर काल में उसकी नई तस्वीर बनी. 1963 की फिल्म में हॉलीवुड स्टार लिज टेलर ने क्लियोपेट्रा की भूमिका निभाई. इस रोल ने उन्हें अमर कर दिया.
ऐतिहासिक क्लियोपेट्रा (69 से 30 ईसापूर्व) के बारे में बहुत कम जानकारी है लेकिन उन्हें दुनिया की सबसे अमीर औरत माना जाता था. वह तीन ताकतवर पुरुषों की प्रतिद्वंद्वी थी, सीजर, मार्क एंटोन और ऑक्टेवियन. सीजर ने उन्हें मिस्र की रानी बनने में मदद की. उन दोनों का एक बेटा भी था.
अपने प्रेमी मार्क एंटोन के साथ क्लियोपेट्रा ने ऑक्टेवियन के खिलाफ रोम फतह करने के लिए युद्ध छेड़ा. लेकिन वे दोनों हार गए. मार्क एंटोन ने आत्महत्या की और क्लियोपेट्रा ने भी. कहा जाता है कि उन्होंने खुद को सांप से कटवा लिया. इस युद्ध के बाद मिस्र रोम का हिस्सा बन गया.
ऑक्टेवियन ने फैला दिया कि क्लियोपेट्रा पुरुषों को मोहपाश में फांसने वाली बर्बर रानी थी. विलियम शेक्सपीयर से लेकर कई कलाकारों, चित्रकारों ने क्लियोपेट्रा को चित्रित किया. उनके बारे में ऐतिहासिक जानकारी बहुत कम है. कोई नहीं जानता कि उनका असली चेहरा कैसा था.
मध्य युग के दौरान कई कलाकृतियां खो गई. लेकिन पुनर्जागरण काल में क्लियोपेट्रा में फिर रुचि जागी. उन्हें फिर से परिभाषित किया गया, सुंदरता की देवी के तौर पर. बारोक काल में (1575 से 1770) वह पसंदीदा थी.
क्लियोपेट्रा के जीवन के बारे में बारोक काल में कई कलाकृतियां बनी. खासकर दो घटनाएं काफी पसंद की गई. क्लियोपेट्रा का अपने प्रेमी मार्क एंटन से मिलन और डिनर. कहा जाता है कि इस दौरान क्लियोपेट्रा ने दो महंगे मोतियों को सिरके में घोला और पी लिया.
साल 1800 में यूरोप में मिस्र की दीवानगी की लहर फैली. चित्रकारों ने क्लियोपेट्रा को ओरिएंटल स्टाइल में पेंट करना शुरू किया. यहां तस्वीर में 1891 की एक फिल्म में अदाकारा सारा बैर्नहार्ड क्लियोपेट्रा की भूमिका में.
औद्योगिकरण के साथ क्लियोपेट्रा विज्ञापन में तब्दील हो गई. 1910 में वह पामोलिव साबुन का चेहरा बनाई गई. क्लियोपेट्रा की सुंदरता का इस्तेमाल कॉस्मेटिक सामानों में किया जाने लगा.
क्लियोपेट्रा पर कई फिल्में बनी. मूक फिल्मों में भी उनका चरित्र इस्तेमाल हुआ. लिज टेलर 1960 में क्लियोपेट्रा बनी. आज क्लियोपेट्रा का वही सबसे जाना माना चेहरा है. अब फिर एक फिल्म उन पर बनने वाली है और क्लियोपेट्रा बनेंगी एंजेलीना जोली. हालांकि हेली बेरी से भी बातचीत चल रही है.
रहस्य से भरपूर
क्लियोपेट्रा की दीवानगी पश्चिमी दुनिया में ही देखने को मिलती है. बॉन के कला संग्रहालय में जारी प्रदर्शनी भी उनके लिए इस दीवानगी को दिखाती है. अफ्रीका में उनके चित्र कम ही हैं. लिखित साहित्य में उन्हें विद्वान और रानी बताया जाता है, मोहपाश में जकड़ने वाली महिला के तौर पर नहीं. कुल मिला कर असली क्लियोपेट्रा का चेहरा इतिहास में कहीं गुम हो गया है.
क्लियोपाट्रा (January 69 BC–November 30, 30 BC) पुरातन ईजिप्त की एक ग्रीक वंश की रानी थी। क्लियोपेट्रा, मिस्र की टालमी वंश की यवन रानियों का सामान्य प्रचलित नाम। मूलत: यह सिल्युक वंशी अंतियोख महान की पुत्री टालमी (पंचम) की पत्नी का नाम था। किंतु इस नाम की ख्याति ११वें तालेमी की पुत्री ओलीतिज़ के कारण है। उसका जन्म लगभग ६९ ई. में हुआ था। उससे पूर्व इस वंश में इस नाम की छह रानियाँ हो चुकी थीं। इस कारण उसे क्लियोपेट्रा (सप्तम) कहते हैं।
जब क्लियोपट्रा १७ वर्ष की थी तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की वसीयत के अनुसार उसे तथा उसके छोटे तोलेमी दियोनिसस को संयुक्त रूप से राज्य प्राप्त हुआ और वह मिस्री प्रथा के अनुसार अपने इस भाई की पत्नी होने वाली थी। किंतु राज्याधिकार के लिये कश्मकश के परिणामस्वरूप उसे राज्य से हाथ धोकर सीरिया भाग जाना पड़ा। फिर भी उसने साहस नहीं त्यागा। उसी समय जूलियस सीज़र पोंपे का पीछा करता हुआ मिस्र आया। वहाँ वह क्लियोपेट्रा पर आसक्त हो गया और उसकी ओर से युद्ध करने को तैयार हो गया।
फलस्वरूप तोलेमी मारा गया और क्लियोपेट्रा मिस्र के राजसिंहासन पर बैठी। मिस्र की प्राचीन प्रथा के अनुसार वह अपने एक अन्य छोटे भाई के साथ मिलकर राज करने लगी। किंतु शीघ्र ही उसने अपने इस छोटे भाई को विष दे दिया और रोम जाकर जूलियस सीज़र की रखेल के रूप में रहने लगी। उससे उसके एक पुत्र भी हुआ किंतु रोमवालों को यह संबंध किसी प्रकार न भाया। अत: सीज़र की हत्या (४४ ई. पूर्व) कर दी गई। तब वह मिस्र वापस चली आई।
४१ ई. पू. मार्क अंतोनी भी क्लियोपेट्रा की सुंदरता का शिकार हुआ। दोनों ने शीत ऋतु एक साथ सिकंदरिया में व्यतीत की। रोमनों ने उनका विरोध किया। ओक्तावियन (ओगुस्तस) ने उसपर आक्रमण कर २ सितंबर ३१ ई. पू. को आक्तियम के युद्ध में उसे पराजित कर दिया। क्लियोपेट्रा अपने ६० जहाजों के साथ युद्धस्थल से सिकंदरिया भाग आई।
अंतानी भी उससे आ मिला किंतु सफलता की आशा न देख ओक्तावियन के कहने पर अंतोनी की हत्या करने पर तैयार हो गई और अंतोनी को साथ साथ मरने के लिये फुसलाकर उस समाधि भवन में ले गई जिसे उसने बनवाया था। वहां अतानी ने इस भ्रम में कि क्लियोपेट्रा आत्महत्या कर चुकी है, अपने जीवन का अंत कर लिया। ओक्तावियन क्लियोपेट्रा के रूप जाल में न फँसा। जनश्रुति के अनुसार उसने उसकी एक डंकवाले जंतु के माध्यम से हत्या कर दी। इस प्रकार २९ अगस्त, ३० ई. पू. उसकी मृत्यु हुई और टालेमी वंश का अंत हो गया। मिस्र रोमनों के अधीन हो गया।
क्लियोपेट्रा का नाम आज तक प्रेम के संसार में उपाख्यान के रूप में प्रसिद्ध है। वह उतनी सुंदर न थी जितनी कि मेधाविनी। कहते हैं वह अनेक भाषाएँ बोल सकती थी और एक साथ अन्यवेशीय राजदूतों से एक ही समय उनकी विभिन्न भाषाओं में बात किया करती थी। उसकी चतुराई से एक के बाद एक अनेक रोमन जनरल उसके आश्रित और प्रियपात्र हुए। अंतोनी के साथ तो उसने विवाह कर उसके और अपने संयुक्त रूप के सिक्के भी ढलवाए। उससे उसके तीन संतानें हुई। धनी वह इतनी थी कि भारत के गरम मसाले, मलमल और मोती भरे जहाज सिकंदरिया के बंदर में खरीद लिया करती थी। अनेक कलाकारों ने क्लियोपेट्रा के रूप अनुकरण पर अपनी देवीमूर्तियाँ गढ़ीं। साहित्य में वह इतनी लोकप्रिय हुई कि अनेक भाषाओं के साहित्यकारों ने उसे अपनी कृतियों में नायिका बनाया। अंग्रेजी साहित्य में तीन नाटककारों- शेक्सपियर, ड्राइडन और बर्नाड शा- ने अपने नाटकों को उसके व्यक्तित्व से सँवारा है।