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ऊपर वाली तीन लाइन पढ़ कर आप भी यही सोचेंगे की मैं भी असहिष्णु हूँ....
आइये अब हम मिलवाते हैं हिन्दुस्तानी मीडिया से जिसने अपनी क्षवि पूरे विश्व में एक वेश्या की तरह स्थापित कर ली है....
गत पांच दिसंबर को 'अमर उजाला' अखबार समेत कई अखबारो ने इस खबर को प्रमुखता से छापा था जिसका शीर्षक यह था -"मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में काली माता के मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया" अब आप मीडिया की मानसिकता देखिये की जिस खबर का मुसलमानो से कोई लेना देना नहीं वहां मुस्लिम बहुल लिख रही है, चलो मान लेते हैं की मंदिर क्षतिग्रस्त करने वाले मुसलमान ही थे... तो क्या ये लिखना उचित और एक तरफ़ा ही न कहा जायेगा की परसो ... जिला मेरठ के अगवानपुर गाँव में एक मस्जिद के मीनार को तोड़कर जंगल में फेंक दिया गया, पूरे का पूरा क्षेत्र छावनी में बदला जा चूका है लेकिन सभी अखबारो में "शरारती तत्वों ने धर्मस्थल खंडित किया" ऐसी हेडिंग बनाई है बजाय ये लिखने के "हिन्दू बहुल भारत में मस्जिद को तोडा गया" लिखा गया है (जो क़ाबिल ए इत्तिफ़ाक़ बात है, होना भी यही चाहिए था)
ऊपर वाली तीन लाइन मेरी खुद्की सुनी हुई हैं, जब मैं बस में सफ़र कर रहा था तब कुछ आदमी बांग्लादेश की ये खबर पढ़कर अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे थे। अगर मेरी जगह कोई और व्यक्ति होता तो दंगा उसी जगह से शुरू हो गया होता... "क्योंकि जाहिल लोगो की दोनों तरफ भरमार है।"