मुज़फ्फरनगर दंगों में लापता एक पूर्व सैनिक की विधवा के साथ अखिलेश सरकार द्वारा किया जा रहा है अमानवीय व्यवहार.
भारतीय सेना के बॉम्बे इंजीनियर्स ग्रुप के पूर्व सैनिक नफीस अहमद मुज़फ्फरनगर दंगों के दौरान पूरा बिजलीघर मुज़फ्फरनगर पर सीनियर सिक्यूरिटी ऑफिसर की पद पर कार्यरत थे और ड्यूटी से ही लापता हो गए. उनका आज तक पता नहीं चला है.
ये मामला FIR नंबर 441/13 थाना मंसूरपुर, मुज़फ्फरनगर में दर्ज है.
परिवार वालों को आशंका है की ड्यूटी पर ही दंगाईयों ने उनकी हत्या कर दी गयी थी और उन्हें गायब कर दिया गया. परिवार वालों ने कानून का हर दरवाज़ा खटखटाया. उन्हें खोजने की हर मुमकिन कोशिश की. घर बार सब कुछ बेच कर भी खोजने की कोशिश करते रहे.
उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने तमाम वादों के बावजूद भी नफीस अहमद की काफ़ी बीमार विधवा की कोई मदद नहीं की है. आज मुल्क के लिए हर वक़्त जान लूटा देने के लिए तैयार रहने वाले सैनिक की विधवा, जिनकी किडनी ख़राब हो चुकी है, अपना इलाज नहीं करवा पा रहीं हैं ना ही उनका डायलिसिस हो पा रहा है.
ना तो यूपी सरकार और ना ही केंद्र सरकार, कहीं से कोई मदद नहीं मिली है. सरकारी तामझाम के चलते सेना से भी एक पैसा आजतक पेंशन का नहीं मिला है.
अखिलश सरकार ने अभी हाल ही में कुछ लोगों को मुआवज़ा दिया था लेकिन इनका नाम लिस्ट से आखिरी वक़्त में क्यों निकाल दिया गया है, इसका कोई भी अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं.
क्या अखिलेश यादव जी नफीस अहमद की विधवा की तत्काल मदद करेंगे या फिर वो दुखियारी औरत इसी तरह इलाज का इंतज़ार करते करते दम तोड़ देंगी?