जफरयाब बताएं-जब 5 हजार बंद भी नहीं तो कैसे छोड़ दिया अखिलेश ने
अनपढ़ मुसलमानों को गुमराह करने के लिए गांवों-देहातों में सपा बटवा रही है झूठे दावों वाली पत्रिका
नई उमंग के संरक्षक नवनीत सहगल, एडीटर सुहेल वहीद और प्रकाशक सुधीश कुमार झा, निदेशक सूचना एंव जनसम्पर्क के खिलाफ हो कार्यवाई
लखनऊ 27 दिसम्बर 2016। रिहाई मंच ने आतंकवाद के आरोपों से 9 साल बाद जेलों से रिहा हुए मुस्लिम युवकों के खिलाफ सपा सरकार द्वारा अपील में जाने को मुसलमानों के साथ धोखा करार दिया है। मंच ने अपर महाधिवक्ता जफरयाब जीलानी के उस दावे पर भी सवाल उठाए हैं जिसमें उन्होंने पांच हजार बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को सरकार द्वारा रिहा किए जाने का दावा किया है।
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने जारी बयान में कहा है कि जनवरी 2016 में आतंकवाद के झूठे आरोपों में 9 सालों तक जेल में रहने के बाद बरी हुए मुस्लिम युवकों नौशाद, जलालुद्दीन, मोहम्मद अली अकबर हुसैन, शेख मुख्तार, अजीजुर्रहमान सरदार और नूर इस्लाम मंडल के खिलाफ सपा सरकार ने हाईकोर्ट में अपील कर दी है। जिसकी सुनवाई की तारीख 31 जनवरी 2017 को नियत है। उन्होंने कहा कि सरकार मुस्लिम समाज से इस बात को छुपा रही थी कि वह किसी तरह के अपील में गई है या जाना चाहती है। लेकिन इस बात की खबर आने के बाद कि सरकार अपील में जा रही है, तब रिहाई मंच के अध्यक्ष और इन युवकों के वकील मोहम्मद शुऐब से खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा अपरमहाधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा था कि सरकार बरी हुए लोगों के खिलाफ अपील में नहीं जाएगी। कुछ लोगों ने बिना उन्हें संज्ञान में लाए अपील दायर कर दिया है जिसे सरकार वापस लेने जा रही है। लेकिन इस वादे के बावजूद सरकार ने बजाए लीव टू अपील की याचिका वापस लेने के उसे 10 नवम्बर 2016 को न्यायालय में स्वीकार कराया और छूटे हुए नौजवानों के खिलाफ वारंट जारी करा दिया। जिसपर 31 जनवरी 2017 को अदालत में उनकी हाजरी होगी।
शाहनवाज आलम ने कहा कि सपा ने 2012 के चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर फंसाए गए बेगुनाह मुस्लिम युवकों को वह सरकार में आते ही छोड़ देगी। लेकिन वो ना सिर्फ अपने वादे से मुकर गई बल्कि जो लोग खुद अपने कानूनी प्रयासों से बरी हुए उनके खिलाफ भी सरकार हाईकोर्ट जा रही है जो साबित करता है कि सपा सरकार बेगुनाह मुस्लिमों को जेल में रखने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सपा सरकार बरी हुए बेगुनाह मुस्लिम युवकों को जेल में डालने की साजिश रच रही है तो वहीं दूसरी तरफ अपर महाधिवक्ता जफरयाब जीलानी मुसलमानों में यह अफवाह फैला रहे हैं कि सपा सरकार ने पांच हजार बेगुनाह मुसलमानों को रिहा कर दिया है। जो मुसलमानों को ठग कर वोट लेने की एक और नापाक हरकत है। उन्होंने कहा कि इस ठगी की साजिश के तहत राज्य सूचना विभाग की तरफ से छापी गई उर्दू पत्रिका ‘नई उमंग’ में जफरयाब जिलानी का एक इंटरव्यूव छापा गया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि अखिलेश सरकार ने पांच हजार बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को रिहा कर दिया है। जबकि सच्चाई तो यह है कि इतने बेगुनाह मुस्लिम नौजवान तो पूरे देश में आतंकवाद के आरोप में नहीं बंद हैं जो साबित करता है कि कौम के नाम पर सरकारी रियायतें लेने वाले अपर महाधिवक्ता को उनकी अपनी कौम से जुड़े मसलों की भी कोई जानकारी नहीं है।
शाहनवाज आलम ने यह भी आरोप लगाया कि इस पत्रिका को सपा कार्यकर्ताओं द्वारा दूर दराज के पिछड़े इलाकों के गांवों में मदरसों से सम्बंधित शिक्षकों और छात्रों को गुमराह करके भोले भाले अशिक्षित मुसलमानों से वोट लेने के लिए बंटवाया जा रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि नई उमंग की प्रतियों को सपा के प्रचार चुनाव की सामग्री मान कर उस पर होने वाले खर्च को सपा से वसूल करे तथा उस खर्च को भी चुनावी खर्च मंे जोड़े तथा सरकारी पद पर रहते हुए राजनीतिक दल के पक्ष मंे झूठे प्रचार करने के आरोप में पत्रिका के संरक्षक नवनीत सहगल प्रमुख सचिव सूचना, पत्रिका के प्रकाशक सुधीश कुमार झा, निदेशक सूचना एंव जनसम्पर्क और पत्रिका के एडीटर सुहेल वहीद, सहायक निदेशक सूचना के खिलाफ कार्यवाई की मांग की है।