समाजवादी ही मुसलमानो की सच्ची हितैषी पार्टी है, पहले दंगो मे मरवाती है फिर कब्रिस्तान भी एलाट करती है।
और क्या चाहिए भई
साम्प्रदायिक आतंकी उस राजनीति जिसने 16 दिसम्बर 2007 को 14 दिन पहले निकाह हुई बहन के शौहर पर आतंकी होने का ठप्पा लगाया। तत्कालीन सरकार जिसने जेल की सलाखों के पीछे डाला। मौजूदा सरकार जो बेगुनाहों को रिहा करने के वादे से
न सिर्फ मुकरी बल्की निमेष आयोग के मौलाना ख़ालिद की गिरफ्तारी को संदिग्ध करार देने के बावजूद दोषी पुलिस अधिकारियो के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। सरकार की सरपरस्ती में दोषी पुलिस व आईबी वालों ने 18 मई 2013 को मौलाना ख़ालिद की हत्या कर दी। क्या उस माँ के एकलौते बेटे उस बेबस बहन के शौहर के कातिलों को आप माफ़ कर देंगे?
हमारा जमीर नहीं गवाही देता और आपका भी नहीं देगा ऐसा विश्वास है हमें...
-राजिव यादव
राष्ट्रीय महासचिव, रिहाई मंच लखनऊ