पैगम्बर हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम के सीरत मुबारका पर एक बहुत ही मश्हूर वाकिया लिख रहा हूँ पढ़ने के बाद खुद का जायज़ा लीजियेगा आज हम क्या हैं।
काफिला अभी शहर से कुछ दूर था मौसलाधार बारिश हो गयी, सुरक्षित जगह पहुंचते पहुंचते लगभग आधा व्यापारी सामान भीग चूका था। जो ऊंटों पर खजूर और अनाज पर मुश्तमिल था। मंडी में पहुंचकर कर व्यापारियों ने अपनी सामग्री उतारना शुरू किया इन व्यापारियों में एक बहुत ही खूबसूरत मासूम चेहरे वाला खुश शक्ल ताजिर भी मौजूद था। जो अपना माल उतारने के बाद दो हिस्सों में बाँट दिया पहला हिस्सा सुखी खजूर अनाज एक तरफ दूसरा भीगी खजूर अनाज एक तरफ रख दिया।
मंडी में ग्राहक आना शुरू हुए तो इस व्यापारी ने सुखी खजूर सूखे अनाज के मूल्य से भीगी खजूर भीगे अनाज का मूल्य कम बताता । लोग बहुत हैरत में थे एक जैसे दिखने वाले सामान का अलग अलग दाम क्यू? उस व्यापारी ने कहा इसमें एक सुखी खजूर और अनाज जो अपने हिसाब से सही वज़न जायेगया दूसरी भीगी खजूर और अनाज जिसका वज़न करने पर कम खजूर कम वजन जायेगी। इसी लिए दोनों के मूल्य अलग अलग हैं। पूरी मंडी और आसपास के कस्बे में इस ईमानदारी के चर्चे होने लगे। एक के बाद एक लोग बढ़ते गये सामग्री खरीदने के लिए। उसी भीड़ में किसी ने कहा येह युवक कोई आम नही है इसमें ज़रूर कुछ खास बात है। व्यापारी के रूप में बैठा खूबसूरत नौजवान पैगम्बर हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम थे।
आज हर तरफ लूट चोरी मची हुई है जिसको जितना मौका मिलता है लूटता है आपको बताता चलूं भारत में इस विषय पर अलाउद्दीन खिलजी का क़ानून बहुत सख्त था। जो व्यापारी जितना दाड़ी {चोरी} करता पकड़े जाने पर उसका उतने वज़न पर गोश्त काट लिया जाता। आज ऐसा कोई क़ानून है नही जिसका हमे डर है लेकिन अल्लाह के क़ानून से हमे डरना चाहिए
- Salim Jawed Kbd