महाराष्ट्र में पिछले हफ्ते हुए मराठा क्रान्ति मोर्चा में लाखो की तादाद में मराठा समाज ने मोर्चा निकाला था. महाराष्ट्र के लगभग सभी जिलो में मोर्चे का आयोजन मराठाओ की विभिन्न समस्याओं को लेकर किया गया था. जिसमे लाखो की संख्या में महिला एवं पुरुष की शुमालियत थी.
गौरतलब है की, इस मोर्चा में शराबी, जुआरी एक भी नहीं पाया गया. इस मोर्चा की इंसानियत देखकर परदा करने वाली मुस्लिम महिलाए भी रास्ते पर उतर आयी और हो सके वह मदत करने लगी. कोई मुस्लिम महिला मोर्चा में शामिल बहनों और बंधुओ को ठंडा पानी पिला रही थी तो कुछ महिलाए बैनर, झंडा पकड़ने में मदत कर रही थी. मुस्लिम पुरुषो की भी संख्या खिदमत करने में जितनी थी उससे कई ज्यादा मोर्चा में भी शामिल थी. इस अनोखे मेल-मिलाप को देखकर स्वघोषित बहुजन हितैषी और शिवद्रोहियों के पैरो तले जमीं खिसकती नजर आई. जबकी बुद्धिजीवी लोगो का कहना था की, यह लाखो की संख्या में शिवप्रेमियों को मुसलमानों ने मदत करना शिवशाही आने के संकेत देता है. याद रहे की, छत्रपति शिवाजी महाराज के सेना में 38 प्रतिशत मुस्लिम थे. जो मुख्य पदों पर अपना कर्तव्य आखिर तक निभाये रहे. अचानक हुए इस बदलाव को देखकर मराठा और मुस्लिमो को इकठ्ठा कर अपनी राजनीतिक जमीन अपने स्वार्थ के लिए तैयार करने वाले फर्जी बहुजन हितैषी देखते ही रह गए.
-अहेमद कुरेशी
जय जिजाऊ