मेरठ में शहादत देने वाले जांबाज सिपाही एकांत यादव की पुलिस विभाग के अफसरों ने अनदेखी की है. शहादत के 22 महीने बाद भी शहीद एकांत की पत्नी अंशू नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली. अंशू के पति एकान्त ने 1 दिसंबर 2014 को मेरठ के कुख्यात नूरइलाही उर्फ नूरा को मुठभेड़ में मार डाला था और खुद भी लड़ते हुए शहीद हो गए.
बुलंदशहर के नगला काला के निवासी यूपी पुलिस के सिपाही एकांत यादव 1 दिसंबर 2014 को मेरठ में उस वक्त शहीद हुए जब वह पुलिस पिकेट पर गश्त के लिए निकले थे. उसी दौरान उनकी मुठभेड़ कुख्यात नूरइलाही उर्फ नूरा से हुई. नूरा ने गोलियां चलाई तो एकांत और उनके साथी लोकेश ने उसे दबोचकर ढेर कर दिया. इस मुठभेड़ में एकांत को पेट में गोली लगी और वह शहीद हो गए. उनकी शहादत पर फक्र करते हुए मेरठ के तत्कालीन आईजी आलोक शर्मा ने उनकी पत्नी को नौकरी और 27 लाख रूपये के मुआवजे का ऐलान किया था. लेकिन शहादत के बाद पुलिस के अधिकारी सब कुछ भूल गए. एकांत की पत्नी अंशू यादव 22 महीनों से नौकरी के लिए परेशान है, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं.
बता दें अंशू और एकांत की शादी 5 जुलाई 2014 को हुई थी. अंशू ने शादी के महज 5 महीनो में ही अपना सुहाग खो दिया. सरकार एकांत की शहादत का सम्मान करती रही और पुलिस के अफसर उस शहादत की बेकदरी. हैरत की बात ये है कि नौकरी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अंशू ने जी-तोड़ मेहनत करके फिजीकल टेस्ट भी पास कर लिया. लेकिन इसके बाद नौकरी की फाइल आईजी मेरठ के आफिस से गायब हो गई.
अंशू की फरियाद अब न अफसर सुनते है और न आईजी आफिस के बाबू.
साल भर पहले गौआतंकियों के सुअर जैसे झुंड ने एक इंसान को कत्ल कर दिया। 18 गौआतंकी गिरफ्तार कर लिये गये जिनमें से एक को डेंगू नाम के मच्छर ने काट लिया और वह मर गया। गौआतंकियों ने पंचायत की पहले मरे हुऐ गौआतंकी को तिरंगे में लपेटा गया फिर कहा गया कि बदला लिया जायेगा। हमें लगा कि अब ये गौआतंकी डेंगू मच्छरो और जेल प्रशासन को ऐसे ही मारेंगे जैसे 'अखलाक' को मारा था। मगर ये गौआतंकी तो डरपोक निकले बजाय मच्छरों और जेल अधिकारियों से बदला लेने के ये तो मुसलमानों को गालियां देने लगे। उन्हें ललकारने लगे। सरकार सब कुछ देख रही थी। उसने भी फौरन शाही टुकड़ा फेंका और मरे हुऐ गौआतंकी को बीस लाख रूपये और उसकी पत्नि को नौकरी देने की घौषणा कर दी। दुनिया के मुताबिक इस दुनिया में सात अजूबे हैं अब लगता है सात नही बल्कि आठ अजूबे हैं जिसमें एक ताजमहल है और दूसरा भारत खुद है। यह इकलौता ऐसा देश है जहां हत्यारों और गौआतंकियों को सरकार मुआवजा देती है। यहां लोग प्याज और लहसुन नहीं खाते क्योंकि ऐसा करने से पाप लगता है मगर इंसान को खाने से कोई पाप नहीं लगता है।
Wasim Akram Tyagi