जब कोई मुसलमान शक के बिना पर भी गिरफ्तार किया जाता है तब उसको मीडिया पहले ही आतंकवादी घोषित कआरती है. बार बार मुसलमान मुसलमान यह शब्द उसके नाम के आगे लगाती है. और जब कोई मुसलमान कोई सराहनीय कार्य करता है तो मीडिया उसका नाम तो छुपाती ही है और सिर्फ भारतीय ऐसा लिखा जाता है. मुसलमानों के अच्छी खबरों को मीडिया द्वारा छुपाया जाता है. हमने यह खबर टाइम्स मीडिया से ली है जिसका टाईटल है. ‘एक भारतीय ने बना दि पानी से चलने वाली कार, ठुकराया विदेश का ऑफर’ - संपादक
मध्य प्रदेश के एक छोटे से सागर जिले के रहने वाले मोहम्मद रहीस मकरानी दावा कर रहे है की उनकी कार डीजल-पेट्रोल के बजाय पानी से दौड़ती है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डीजल-पेट्रोल के बजाय पानी से बने हुये फ्यूल से गाड़ियाँ दौड़ती नजर आएगी। मोहम्मद रहीस अपने सपने को साकार करने के लिए 26 मई को चीन गए थे। और वहां के वैज्ञानिकों ने मोहम्मद रहीस के फॉर्मूले को कारगर माना है।
और मोहम्मद रहीस बताते है कि चीन के सिन्यांग शहर की इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कोलिया मल्टीनेशनल कंपनी के एमडी सुमलसन ने मोहम्मद रहीस के साथ इस फॉर्मूले पर काम करने को कहा है।
मोहम्मद रहीस बताते है की मैंने इस फॉर्मूले पर काम करने लिए अपने देश और अपने गाँव में ही तैयार करके लॉन्च करने की बात रखी है। कंपनी ने तीन महीने का समय माँगा है। इन सब के बाद चीन से अभी कुछ ही दिनों में लौटे है।
2013 में उन्होंने अपने फॉर्मूले को पेटेंट कराने के लिए इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया (मुंबई) के ऑफिस में अर्जी भी लगा दी है। अगर कम्पनी तैयार हो जाती है तो यह तकनीक बहुत ही सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल भी होगी।
मोहम्मद रहीस ने अपनी कार में पीछे की तरफ एक सिलेंडर लगाया है। इसमें पानी और कार्बाइड का मिश्रण करके एसिटिलीन पैदा किया जाता है। उसके बाद कुछ ही क्षणों में एसिटिलीन बनते ही कर दौड़ने लगती है। मोहम्मद रहीस का कहना है की हमारे देश में कैल्शियम और कार्बाइड की कमी नहीं है। इसलिए यह तकनीक बहुत ही सस्ती पड़ेगी और ज्यादा प्रदूषण भी नहीं करेगी।
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मोहम्मद रहीस बताते है की एक बार मैं गैस वेल्डिंग कर रहा था तो उस दौरान मुझे पानी से चलने वाली कार का आईडिया सुझा। कार के इंजन के पिस्टन को चलाने के लिए आग और करंट चाहिए होता है। और वेल्डिंग में भी आग पैदा करने के लिए कैल्शियम कार्बाइड और पानी का मिश्रण होने से आग पैदा होती है। फिर मैंने अपनी पेट्रोल से चलने वाली कार के इंजन में कुछ तबदीली कर दी और कार के फ्यूल टैंक में मैंने इस बार पेट्रोल की जगह कैल्शियम कार्बाइड और पानी का पाइप लगा दिया। फिर मैंने कार को स्टार्ट किया तो गाड़ी का इंजन स्टार्ट हो चूका था। इस फॉर्मूले पर मैंने 5 साल तक मेहनत की तब जाके ये नतीजा निकला है। अब मेरी गाड़ी 20 लीटर पानी और 2 किलोग्राम कैल्शियम कार्बाइड को मिलाकर बने हुये फ्यूल से 20 किलोमीटर तक चल सकती है।
मोहम्मद रहीस बताते है की 2013 में उन्हें दुबई की कंपनी ने इस तकनीक पर काम करने के लिए मुझे ऑफर किया था। लेकिन मैंने अपने देश में रहकर ये फॉर्मूला तैयार करके यहीं पर लॉन्च करने की बात कही थी जिस पर कंपनी सहमत नहीं हुई।
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